पिछले पांच सालों में प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों ने लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) को नए बिज़नेस प्रीमियम (NBP) और एनुअलाइज़्ड प्रीमियम इक्विवैलेंट (APE) की ग्रोथ के मामले में काफी पीछे छोड़ दिया है। प्राइवेट कंपनियों के पास विविध उत्पाद, बेहतर डिजिटल क्षमताएँ और मजबूत वितरण नेटवर्क हैं, जिससे उन्हें बाजार में बढ़त मिली है। वहीं, LIC को बदलते बाजार के हिसाब से खुद को ढालने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
ग्रोथ की तुलना
FY19 से FY24 के बीच जीवन बीमा क्षेत्र ने NBP में 12% और APE में 10.5% की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) दर्ज की है। हालांकि, HDFC लाइफ, बजाज एलियांज़ और SBI लाइफ जैसी प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों ने LIC के मुकाबले ज्यादा तेज ग्रोथ दिखाई है, खासकर शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में, जहां प्रीमियम की राशि अधिक होती है।
LIC की धीमी ग्रोथ
दूसरी ओर, LIC ने इसी अवधि में NBP और APE में सिर्फ 9.4% और 6.2% की ग्रोथ दिखाई है। LIC की परंपरागत एजेंसी चैनल्स पर निर्भरता उसे प्राइवेट कंपनियों के मुकाबले कमजोर साबित कर रही है।
इंडिविजुअल और ग्रुप सेगमेंट में अंतर
प्राइवेट कंपनियों ने इंडिविजुअल प्रीमियम सेगमेंट में भी LIC से बेहतर प्रदर्शन किया है, जबकि LIC और ICICI प्रूडेंशियल लाइफ को इंडिविजुअल सेगमेंट में सिंगल-डिजिट ग्रोथ ही मिली है। हालांकि, ग्रुप इंश्योरेंस में LIC की स्थिति मजबूत है, लेकिन वहां भी उसकी ग्रोथ स्थिर है, जिसका CAGR FY21 से केवल 6.6% है।
निष्कर्ष
LIC, भले ही प्रीमियम और पॉलिसी की संख्या के मामले में अभी भी बड़ा खिलाड़ी है, लेकिन धीमी ग्रोथ और सीमित वितरण रणनीति उसकी चुनौती बनी हुई है। प्राइवेट कंपनियों के मुकाबले LIC को प्रोडक्ट्स में विविधता और डिजिटल विस्तार में तेजी लानी होगी।